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हैबिटेट सेंटर को लेकर आए दिन बखेड़ा, जानिए अंदर की बात

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गाजियाबाद के इंदिरापुरम में संचालित हैबिटेट सेंटर को लेकर आए दिन बखेड़ा खड़ा हो रहा है। कभी इस सेंटर के निवेशक प्रदर्शन प्रदर्शन कर रहे हैं तो कभी सेंटर के वेंडर। जबकि इस सेंटर से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई एनसीएलटी कोर्ट में लंबित है। दूसरी ओर इस तरह के प्रदर्शनों की वजह से सेंटर के कारोबार पर बुरा असर पड़ रहा है। आइए जानने का प्रयास करते हैं कि इस इन प्रदर्शनों के पीछे की वजह क्या है।
बता दें कि, इस व्यापारिक सेंटर का निर्माण सोसियो कल्चरल थीम के अधार पर किया गया है। व्यवस्था दी गई कि यहां कारोबारी प्रतिष्ठान और दफ्तर तो होंगे ही, विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा। लेकिन सेंटर के निर्माण में ही भ्रष्टाचार का मामला सामने आया। कई निवेशकों ने पुलिस में शिकायत दी। वहीं इन्हीं शिकायतों के आधार पर सेंटर के प्रमोटर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। वहीं मामले के निस्तारण के लिए फाइल एनसीएलटी कोर्ट चली गई। जहां से सेंटर के प्रबंधन के लिए आरपी की नियुक्ति हुई है। अब इस सेंटर से जुड़े ताजा विवाद की बात करते हैं। विवाद की शुरुआत निवेशकों ने की। उनका कहना है कि सेंटर का मौजूदा प्रबंधन यहां अवैध रूप से प्रदर्शनी लगाकर होने वाली कमाई में हेराफेरी कर रहा है। जबकि हैबिटेट सेंटर प्रबंधन का कहना है कि यहां हेराफेरी होने का सवाल ही नहीं है। यहां से होने वाले पूरे आय व्यय का रिकार्ड पहले सीओसी (कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स) की मंजूरी के बाद एनसीएलटी में जमा किया जाता है। लेकिन रिजलूशन के बाद यह रिकार्ड अब सीधे एनसीएलटी में जमा होता है। सेंटर में जो प्रदर्शनी लगी है, उसके लिए भी नियमानुसार जीडीए और जिला प्रशासन से अनुमति ली गई है। वहीं इस प्रदर्शनी में शामिल वेंडरों का कहना है कि इस प्रदर्शनी से उनका घर चलता है। जबकि कुछ निवेशक और स्थानीय पार्षद यहां से कमाई करना चाहते हैं। ऐसा संभव नहीं होने पर इस प्रदर्शनी को ही खत्म करना चाहते हैं। इसके लिए बीते चार महीने से पार्षद अभिनव जैन और उनकी टीम के लोग रोज किसी ना किसी अधिकारी और नेता के पास जाकर शिकायतें दे रहे हैं। इसलिए रोज कोई ना कोई जांच बैठ जा रही है। चूंकि यहां सबकुछ नियमानुसार हो रहा है, इसलिए इस जांच से कोई दिक्कत तो नहीं है, लेकिन बिना वजह जांच प्रक्रिया की वजह से उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है।

 

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